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भारतीय शेयर बाजार : 3 Important terms must to know

तो हम लोग आज इस पोस्ट में भारतीय शेयर बाजार के बारे में सीखने वाले हैं । हम बहुत सी बार जब टीवी के ऊपर में देखते हैं, या फिर न्यूज़ पेपर में देखते हैं। या फिर हमारे दोस्त परिजन भी हमसे बात करते हुए कहते हैं । यार आज शेयर मार्केट बहुत ऊपर गया या फिर आज शेयर मार्केट बहुत नीचे गया है। तो इसका मतलब क्या होता है ?

एक्चुअल में शेयर मार्केट के बारे में जानने से पहले आपको यह जानना पड़ेगा की शेर का मतलब क्या होता है ?

एक्चुअली स्टॉक मार्केट के अंदर में या फिर शेयर मार्केट के अंदर में शेयर मार्केट को , मुख्य रूप से शेयर मार्केट या फिर स्टॉक मार्केट के नाम से जाना जाता है। जहां पर हम लोग अलग अलग ऑप्शंस में शेयर ट्रेडिंग करते हैं। जैसे की करेंसी इक्विटी और कमोडिटी। आज इस पोस्ट में हम लोग उन सारी बातों के बारे में ध्यान से जानेंगे। तो शुरू करते हैं कि हमारे शेयर बाजार की जो शुरुआत है वह कैसे हुई थी।

भारतीय शेयर बाजार की उत्पत्ति –

भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत 18 वीं शताब्दी के मानी जाती है। भारत में संगठित स्टॉक ट्रेडिंग की शुरुआत 1875 में हुई जब २२ लोगों ने मिलकर मुंबई में एक बरगद के पेड़ के नीचे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना की थी। और दोस्तों आपको यह जानने में हैरानी बिल्कुल नहीं होनी चाहिए कि, अपना स्टॉक एक्सचेंज जो है वो एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है। मतलब एशिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज भारतीय शेयर बाजार का तेजी से विकास हुआ है।

और इसकी निगरानी भारतीय प्रतिरोध और विनियमन बोर्ड मतलब सेबी द्वारा की जाती है। जो 1942 में स्थापित किया गया था।

भारतीय शेयर बाजार की परिभाषा –

इंडियन स्टॉक मार्केट / भारतीय शेयर बाजार एक ऐसा माध्यम हैं। जहां पर सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर बंद वस्तु और अन्य एक्विटी ने खरीदी की या फिर बेचे जा सकते हैं। यह निवेशकों को कंपनियों में निवेश करने और कंपनी को विकास का हिस्सा बने लाभ कमाने का अवसर प्रदान करता है।

शेयर बाजार का मुख्य उद्देश्य –

दो प्रकार के होते हैं सबसे पहले आता है प्रायमरी मार्केट जिसे प्राथमिक बाजार भी कहा जाता है और दूसरा आता है द्वितीय बाजार जिसका सेक्रेटरी मार्केट भी कहा जाता है।

प्राथमिक बाजार –

के अंदर में होता है जहां कंपनियां प्रारंभिक सार्वजनिक निगम मतलब आईपीओ के द्वारा पूंजी जमा करती है। मतलब आईपीओ लॉन्च करके उसके हिसाब से जो है वह मार्केट से पैसा जमा करते हैं।

सेकेंडरी मार्केट –

पहले जो शेयर्स लिस्ट हुए हैं मतलब जिनका आईपीओ पहले आ चुका है और जो अभी शेयर मार्केट के अंदर में काम कर रही है। उसके शेयर ऊपर एक्सचेंज में व्यापार होता है मतलब खरीदी या फिर विक्री ।

भारतीय शेयर बाजार के प्रकार –

भारतीय शेयर बाजार के मुख्य दो प्रकार होते हैं जिसमें आता है प्रायमरी मार्केट और जो दूसरा आता है वह आते सेकेंडरी मार्केट।

प्रायमरी मार्केट – के अंदर में यहां नए सिक्योरिटी जैसे शेयर और बंद को पहली बार जनता के लिए जारी किया जाता है। कंपनी अपनी कंपनी का विस्तार करने के लिए या फिर अपना कर्ज चुकाने के लिए मार्केट के अंदर से जो पैसा है वह पैसा जमा करती है। शेयर्स के माध्यम से उसी को कहते हैं प्रायमरी मार्केट।

जो दूसरा वाला आता है वह आता है सेकेंडरी मार्केट

सेकन्डेरी मार्केट – में जाने के लिए कंपनी जो है वह कंपनी लिस्ट होनी चाहिए। शेयर मार्केट में और द्वितीय बाजार में पहले से जारी किए गए सिक्योरिटी का निवेशकों को बीच व्यापार होता है। व्यापार को तरलता मिलती है क्योंकि निवेदक कभी भी अपने शेयर को बेच सकते हैं । भारतीय शेयर बाजार में निवेश के प्रकार इक्विटी किसी कंपनी में हिस्सेदारी को दर्शाता है। शेयर धारक को वोटिंग अधिकार और मुनाफा में हिस्सेदारी मिलती है।

बॉंडस – बॉंडस शेयर मार्केट

सरकारी बॉन्ड – ये एक ऐसी सिक्योरिटी होती है जिनमें निवेशक कंपनी या सरकार को ब्याज और मूलधन के वापसी के लिए धन उधार देते हैं। डेरिवेटिव्स यह वित्तीय अनुबंध होते हैं जिसका मूल्य किसी आधारभूत संपत्ति जैसे स्टॉक इंडेक्स कमोडिटी या मुद्रा पर निर्भर करता है। डेरिवेटिव्स का उपयोग सुरक्षा या सट्टा उद्देश्य के लिए किया जाता है।

म्युचुअल फंड – दोस्तों आपने बहुत बात सुना होगा म्यूचुअल फंड के बारे में । म्युचुअल फंड के बारे में उसकी जो एडवर्टाइजमेंट है वह भी अपने टीवी के ऊपर में देखी होगी रेडियो में सुनी होगी या फिर अपने दोस्त परिजनों के साथ बातें करते हुए के कभी ना कभी सुना ही होगा। तो ये म्युचुअल फंड का भी जो प्रकार आता है यही स्टॉक मार्केट के अंदर में आता है।

भारतीय शेयर बाजार के उपप्रकार –

भारतीय शेयर बाजार की प्रमुख पांच प्रकार बताइए –

सबसे पहले आता है इक्विटी, उसके बाद में आता है डेट मतलब ऋण बाजार तीसरा आता है डेरिवेटिव बाजार, चौथा आता है वस्तु बाजार मतलब कमोडिटी मार्केट और पांच में आता है करन्सी मार्केट। जिसे हम मुद्रा बाजार भी कहते हैं।

एक्विटी मार्केट –

तो सबसे पहले जाने की इक्विटी बाजार के बारे में। इक्विटी मार्केट के बारे में जिसे कैश मार्केट भी कहा जाता है। कैश बाजार में ट्रेड तुरंत या एक छोटे समय में पूरा होता है। आमतौर पर टी प्लस टू शेयर खरीदे और निवेशक के खाते में रखे जाते हैं। इक्विटी डेरिवेटिव्स मतलब इस सेगमेंट में निवेशक स्टॉक से इंडेक्स पर आधारित विकल्प और फ्यूचर व्यापार करते हैं। जैसे कि बैंक निफ़्टी, निफ्टी या फिर फ्यूचर एंड ऑप्शंस के अंदर में। बाजार की तुलना में कम पूंजी में निवेश की अनुमति देता है।

ऋण बाजार मतलब डेप्ट मार्केट –

इसके अंदर में भी हम सरकारी बॉन्ड को देखते हैं। सरकार द्वारा पूंजी जुटाना के लिए जाएंगे बॉन्ड। यह बहुत ही रिस्क फ्री होता है क्योंकि इसके अंदर में हम लोग सीधा गवर्नमेंट को जो है वह अपने पैसे लैंड कर रहे हैं। या फिर उधार दे रहे। इसका ऐसा मतलब होता है।

कॉरपोरेट बॉन्ड

कंपनी द्वारा जारी किए जाने वाला एक्चुअल में सरकारी बॉन्ड की तरह ही होता है। लेकिन इसके अंदर में कॉर्पोरेट मतलब जो प्राइवेट कंपनी होती है। वह आपसे पैसा लेती है तो इसके अंदर में रिस्क आपका थोड़ा सा टीका ही रहता है। लेकिन आपको एक फिक्स इनकम जो है वह इसे मिल सकता है।

डेरिवेटिव मार्केट –

फ्यूचर्स ऑप्शन अनुबंध एक सहमति होता है कि भविष्य की तारीख में एक आधारभूत संपत्ति को एक निश्चित मूल्य पर खरीदा या बेचा जाएगा। उसका उपयोग सट्टा और सुरक्षा उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। ऑप्शंस में खरीदार मिलता है। ऑप्शंस की जो प्राइस है वह बहुत ही कम रहती है। फ्यूचर’एस की तुलना में और ऑप्शंस के अंदर में रिस्क जो है वह भी सबसे टॉप रहता है। सबसे ज्यादा रिस्क जो है वह ऑप्शन में ही रहता है।

अगर आप शेयर मार्केट के बारे में अभी सीख रहे हो तो मैं आपको यह बिल्कुल नहीं कहूंगा क्या फ्यूचर एंड ऑप्शंस को हाथ भी लगाए पहले शेयर मार्केट के अंदर में सीखे उसके बाद में इंट्राडे ट्रेडिंग के और उसके बाद में ही आप फ्यूचर एंड ऑप्शंस के बारे में सोच सकते हैं।

कमोडिटी मार्केट –

कमोडिटी मार्केट के अंदर में भी दोस्तों दो प्रकार आते हैं। पहले आता है स्पॉट बाजार दूसरा आता है कमोडिटी डेरिवेटिव्स। स्पॉट बाजार में सोना, चांदी, तेल इन सब की जो कीमत रहे थे वह हर रोज बदलती रहती है। हर मिनट में बदलती रहती है। तो हम लोग उसको कमोडिटी मार्केट के अंदर में खरीद या फिर भेज सकते हैं। वह भी कंपलीटली डिजिटल हमें उसके फिजिकल कोई डिलीवरी लेने की आवश्यकता नहीं होती है।

कमोडिटी डेरिवेटिव्स –

मतलब जहां हमने अभी इक्विटी के अंदर में जैसे देखा कि बैंक निफ्टी और निफ्टी का फ्यूचर एंड ऑप्शंस रहता है। वैसे ही कमोडिटी के अंदर में फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस रहता है। उसी का कमोडिटी डेरिवेटिव्स माना जाता है।

करन्सी मार्केट

जो की मुद्रा बाजार स्पॉट फॉरेक्स बाजार भी उसके अंदर में आता है। जिसमें विदेशी मुद्रा का वास्तविक समय में विनियमन होता है। जिससे मुद्रा की कीमत और आपूर्ति पर आधारित होते हैं। करन्सी मार्केट में भी फ्यूचर एंड ऑप्शंस कर सकते हैं। और हमें वहां पर पेयर्स में काम करना पड़ता है। जैसे कि यूएसडी आईएनआर यूरो आईएनआर और अन्य।

मुख्य शेयर बाजार सूचकांक के उदाहरण / एग्जांपल्स के स्टॉक मार्केट इंडिसेज इसके अंदर में सेंसेक्स आता है निफ्टी आता है। सेंसेक्स के अंदर में एस&पी बीएसई सेंसेक्स में भारत सबसे पुराना स्टॉक इंडेक्स है जो बीएससी के 30 सबसे बड़े और सक्रिय स्टॉक का प्रतिनिधित्व करता है। हमें देखना रहेगा कि इंडियन स्टॉक मार्केट में बीएससी के टॉप के 30 ईयर कैसे कम करें तो हमें सेंसेक्स का रेट देख कर ही पता चल सकता है।

उसके बाद में आता है निफ्टी 50 का मुख्य सूचकांक के जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के शीर्ष 50 कंपनियां शामिल होती है। और यह भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन का एक परिमाण होती है। भारतीय शेयर बाजार का महत्व भारतीय शेयर बाजार अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पे आप भविष्य के लिए निवेश कर सकते हैं । जो की एक बोहोत खूबसूरत निर्णय साबित हो सकता हैं ।

क्या फ्यूचर ऑप्शन बिगिनर के लिए सही हैं ?

नहीं। बेगीनर्स सबसे पहले शेयर मार्केट में निवेश करने से शुरू करे । बदमे थोडस समझ आने के बाद में इंट्राडे ट्रैडिंग करे । हो सके उतना फ्यूचर ऑप्शन से दूर रहे .

डीमॅट अकाउंट के लिए कितनी फीस लगती हैं ?

डीमॅट अकाउंट शुरू करने के लिए किसी प्रकार की फीस नहीं लगती। अगर आप शेयर मार्केट के लिए डीमॅट अकाउंट खोलना चाहते हैं तो आप हमे कान्टैक्ट कर सकते हैं।

Sagar Shirsat

Sagar is stock market and financial market enthusiast . he had done his M.B.A in finance as well international marketing, along with that he has scored top in Diploma in Taxation law and currently practicing as Tax Advocate in Ahilyanagar , Maharashtra.

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